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Mon Sep 8, 2025
सरकार के इस फैसले से गोवा के कसीनो उद्योग ने गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि 28% से बढ़ाकर 40% कर लगाए जाने से कारोबार पर गहरा असर पड़ेगा, निवेश रुक सकता है और उन हजारों लोगों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है जो इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम न केवल रोजगार बल्कि पर्यटन क्षेत्र पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
डेल्टा कॉर्प लिमिटेड के चेयरमैन जयदेव मोदी ने कहा है कि गोवा के कसीनो राज्य की अर्थव्यवस्था में पिछले 20 सालों से अहम भूमिका निभा रहे हैं। कसीनो ने न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा दिया बल्कि एयरलाइंस, होटल, टैक्सी और रेस्तरां जैसे क्षेत्रों को भी लाभ पहुँचाया। उनका कहना है कि प्रस्तावित 40% जीएसटी इस उद्योग को असमर्थ बना सकता है, हजारों नौकरियों पर खतरा पैदा कर सकता है, पर्यटन को नुकसान पहुँचा सकता है और वर्षों से किए गए बड़े निवेश को व्यर्थ कर देगा। वर्तमान में गोवा की राजधानी पणजी की मांडोवी नदी पर छह ऑफशोर कसीनो संचालित हो रहे हैं, जबकि पांच सितारा होटलों के भीतर एक दर्जन से अधिक कसीनो चल रहे हैं। समय के साथ ये कसीनो गोवा की पर्यटन उद्योग का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं और राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत भी साबित हुए हैं, जो घरेलू और विदेशी दोनों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
भारत का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल गोवा है। यहाँ के सुनहरे रेतीले समुद्र तट, रोमांचक नाइटलाइफ़ और विश्वस्तरीय कैसीनो दुनियाभर से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि गोवा के अधिकांश कैसीनो समुद्री क्रूज़ जहाजों पर स्थित हैं। ये न सिर्फ स्लॉट मशीन और टेबल गेम (जैसे ब्लैकजैक, रूलेट, बैकारेट और पोकर) उपलब्ध कराते हैं, बल्कि लाइव एंटरटेनमेंट, संगीत, और बेहतरीन रेस्टोरेंट भी पर्यटकों को विशेष अनुभव प्रदान करते हैं।
गोवा, दमन और दीव पब्लिक गैम्बलिंग एक्ट, 1976 के तहत गोवा में कैसीनो चलाने की अनुमति दी गई है।
• यह कानून केवल फाइव-स्टार होटलों और ऑफशोर जहाजों (समुद्री क्रूज़) पर लाइसेंस प्राप्त कैसीनो संचालन की अनुमति देता है।
• संचालन के लिए सरकारी लाइसेंस और नियमों का पालन करना अनिवार्य है।
• इसी कानूनी प्रावधान की वजह से गोवा में स्थलीय (Land-based) और फ्लोटिंग (Floating) कैसीनो दोनों स्थापित हो पाए हैं।
• वर्ष 2014 में मनोहर पर्रिकर ने गोवा के कैसीनो को स्थायी लाइसेंस प्रदान किए।
• लग्ज़री माहौल और अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएँ।
• विभिन्न खेल विकल्प, जिससे हर प्रकार का खिलाड़ी अपने लिए कुछ खास चुन सके।
• लाइव शो और म्यूज़िक, जो गेमिंग के साथ-साथ मनोरंजन भी प्रदान करते हैं।
• पर्यटन और मनोरंजन का संगम, जहाँ खेल, संगीत, भोजन और क्रूज़ का अनोखा अनुभव मिलता है।
गोवा का कसीनो उद्योग राज्य के राजस्व और रोजगार में बड़ी भूमिका निभाता है। वित्तीय वर्ष 2012–2013 में कसीनो से राज्य को लगभग ₹135 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। आज यह उद्योग पर्यटन को बढ़ावा देने और देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने में अहम योगदान दे रहा है।
कसीनो की मौजूदगी गोवा की अर्थव्यवस्था को मजबूती देती है। हर लाइसेंसधारी ऑपरेटर वार्षिक लाइसेंस शुल्क, गेमिंग टैक्स अदा करता है और साथ ही रोजगार भी उत्पन्न करता है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, डेल्टा कॉर्प जैसी कंपनियां सालाना ₹1,000 करोड़ से अधिक का राजस्व अर्जित करती हैं।
इसका असर सिर्फ कसीनो तक सीमित नहीं है। होटलों, टैक्सी सेवाओं, रेस्तरां और शॉपिंग सेंटरों को भी पर्यटकों की लगातार आमद से फायदा होता है। इसी वजह से कसीनो टूरिज्म अब गोवा की पर्यटन अर्थव्यवस्था से गहराई से जुड़ चुका है, जिससे यह राज्य इस क्षेत्र में सबसे अधिक राजस्व कमाने वालों में गिना जाता है।
गोवा के कसीनो क्रूज़ और लग्ज़री रिसॉर्ट पर्यटकों को खास तौर पर आकर्षित करते हैं। यहां अंतरराष्ट्रीय पर्यटक, घरेलू यात्री और गेमिंग के शौकीन बड़ी संख्या में आते हैं। सरकार ने कसीनो टूरिज्म को अपनी व्यापक रणनीति का हिस्सा बनाया है और इन्हें प्रीमियम आकर्षण के रूप में पेश किया है, खासकर उन पर्यटकों के लिए जो समुद्र तटों से आगे कुछ और तलाशते हैं।
आजकल इंटीग्रेटेड रिसॉर्ट्स का चलन बढ़ रहा है, जहां कसीनो के साथ लग्ज़री कमरे, रूफटॉप पूल, स्पा और नाइटलाइफ़ की सुविधाएं मिलती हैं। यह इकोसिस्टम मेहमानों को अधिक समय और पैसा खर्च करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे ऑपरेटर और राज्य दोनों को लाभ होता है।
केरल के नेताओं और यूनियनों का कहना है कि GST दर बढ़ाने से राज्य की लॉटरी व्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है। उनका तर्क है कि लॉटरी कोई "लग्जरी वस्तु" नहीं है, इसलिए इसे 40 प्रतिशत की ऊँची दर में रखना अनुचित है। यही कारण है कि उन्होंने मांग की है कि इसे अधिकतम 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में रखा जाए।
राज्य में लॉटरी से सीधे तौर पर 2 लाख से अधिक विकलांग और गरीब लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है। रिपोर्टों के अनुसार, जब पहले टैक्स 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत किया गया था, तो टिकट की कीमत 30 रुपये से बढ़कर 50 रुपये हो गई थी। इससे टिकटों की बिक्री पर नकारात्मक असर पड़ा। अब 40 प्रतिशत कर लागू होने की स्थिति में हालात और बिगड़ सकते हैं।
केरल में लॉटरी से होने वाला राजस्व कई कल्याणकारी योजनाओं के संचालन का मुख्य आधार है। इसमें पेंशन, बोनस, उपचार व्यय, गर्भवती महिलाओं को सहायता और विकलांगों के लिए तिपहिया वाहन जैसी योजनाएं शामिल हैं। टैक्स दर बढ़ने से इन योजनाओं की फंडिंग पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है, जिससे समाज के कमजोर वर्गों को सीधी चोट पहुंचेगी।
अक्टूबर 2023 में सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर 28 प्रतिशत GST लगाने का फैसला किया था। इस कदम का ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने कड़ा विरोध किया था। उनका कहना था कि इतनी ऊँची दर से उनका कारोबार प्रभावित होगा और उद्योग के विकास पर रोक लगेगी। अब सरकार द्वारा 40 प्रतिशत टैक्स का नया प्रावधान यह संकेत देता है कि जुआ और सट्टेबाजी को "सिन गुड्स’ (Sin Goods)" की श्रेणी में ही रखा जा रहा है।
संसद ने पिछले महीने ऑनलाइन मनी गेमिंग पर रोक लगाने वाला कानून पारित किया था। इस कानून के लागू होने के बाद कई ऑपरेटरों ने भारत में अपना कारोबार बंद कर दिया। हालांकि, ईस्पोर्ट्स और मनोरंजन के लिए खेले जाने वाले सोशल गेम्स को इसमें अलग मान्यता दी गई है। टैक्स और कानून दोनों के कड़े प्रावधानों के साथ अब यह साफ है कि कैसीनो, रेस क्लब, लॉटरी डिस्ट्रीब्यूटर और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर बड़ा आर्थिक बोझ पड़ने वाला है।
सरकारें अक्सर कुछ ऐसे उत्पादों को ‘सिन गुड्स’ (Sin Goods) की श्रेणी में रखती हैं, जिन्हें स्वास्थ्य या समाज के लिए हानिकारक माना जाता है। इनमें तंबाकू, गुटखा, पान मसाला, शराब और मीठे पेय पदार्थ शामिल हैं। इन पर सामान्य से अधिक टैक्स लगाया जाता है ताकि इनके उपभोग को कम किया जा सके और साथ ही सरकारी राजस्व भी बढ़ाया जा सके।
• अब तक भारत में इन वस्तुओं पर 28% GST और अलग से ‘कंपनसेशन सेस’ लगाया जाता था।
• सेस को धीरे-धीरे हटाया जा रहा है, इसलिए अब इन्हें सीधे 40% GST स्लैब में डाल दिया गया है।
• इसका मकसद है कि सरकार को मिलने वाला कुल टैक्स कम न हो और राजस्व का प्रवाह बना रहे।
40% टैक्स दर को ‘स्पेशल रेट’ कहा जा रहा है क्योंकि यह बहुत सीमित वस्तुओं पर ही लागू होती है।
• इसमें मुख्य रूप से सिन गुड्स और कुछ महंगे लग्ज़री प्रोडक्ट्स आते हैं।
• सरकार का मानना है कि ऊँचा टैक्स दरअसल उपभोग को हतोत्साहित करेगा, क्योंकि ये उत्पाद स्वास्थ्य और समाज दोनों पर नकारात्मक असर डालते हैं।
• साथ ही, टैक्स के ज़रिए जुटाई गई बड़ी राशि को जनकल्याण योजनाओं पर खर्च किया जा सकता है।
सरकार ने कसीनो को "सिन गुड्स" मानते हुए उस पर 40% जीएसटी लगा दिया है। इसे सरकार का कसीनो गतिविधियों पर रोक लगाने का प्रयास भी माना जा सकता है। ऐसे में अब देखना होगा कि गोवा के कसीनो उद्योग के विरोध और चिंताओं के बाद सरकार का आगे का रुख क्या होगा।