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Mon Sep 8, 2025
जयप्रकाश एसोसिएट्स के अधिग्रहण की प्रक्रिया
जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) की बिक्री दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत कराई गई। कर्जदाताओं ने इसके लिए प्रक्रिया शुरू की, जिसमें कई कंपनियों ने रुचि दिखाई। अंत में केवल अडानी समूह और वेदांता ने अंतिम बोली लगाई।
वेदांता ने अडानी को पछाड़ते हुए 17,000 करोड़ रुपये की सफल बोली लगाई। इसके साथ ही वेदांता का नेट मौजूदा मूल्य (NPV) 12,505 करोड़ रुपये पर तय हुआ।
गौरतलब है कि जेपी समूह द्वारा ऋण भुगतान में चूक के बाद कंपनी को दिवाला प्रक्रिया में ले जाया गया था। लेनदारों ने कंपनी पर लगभग 57,185 करोड़ रुपये का दावा किया है।
IBC, 2016 भारत का प्रमुख शोधन अक्षमता कानून है, जो कॉर्पोरेट कंपनियों, साझेदारी फर्मों और व्यक्तियों के दिवाला और शोधन अक्षमता से जुड़े पुराने कानूनों को समेकित और संशोधित करता है।
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT), इलाहाबाद पीठ ने 3 जून 2024 को आदेश जारी करते हुए जयप्रकाश एसोसिएट्स (JAL) को कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के तहत भेज दिया। इसके बाद कंपनी की बिक्री प्रक्रिया दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के प्रावधानों के तहत चलाई गई।
कर्जदाताओं की समिति (COC) ने 5 सितंबर को बैठक आयोजित कर चुनौती प्रक्रिया पूरी की। इस प्रक्रिया में वेदांता ग्रुप ने सबसे ऊंची बोली लगाकर अडाणी एंटरप्राइजेज को पछाड़ दिया।
सूत्रों के अनुसार, वेदांता ने ₹17,000 करोड़ की सफल बोली लगाई, जिसका शुद्ध वर्तमान मूल्य (NPV) लगभग ₹12,505 करोड़ रहा।
वित्तीय ऋणदाताओं ने जेएएल पर कुल ₹57,185 करोड़ बकाया होने का दावा किया है। इनमें सबसे बड़ा दावा नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (NARCL) का है, जिसने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम से जेएएल का कर्ज खरीदा।
अप्रैल 2024 में, जेएएल के अधिग्रहण में 25 कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी। जून में कंपनी ने बताया कि उसे 5 बोलियां और अग्रिम राशि प्राप्त हुई हैं। इन प्रमुख दावेदारों में अडाणी एंटरप्राइजेज, डालमिया भारत सीमेंट, वेदांता ग्रुप, जिंदल पावर और पीएनसी इन्फ्राटेक शामिल थे।
जेएएल (JAL) के पास राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में कई बड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स हैं। इनमें ग्रेटर नोएडा में जेपी ग्रीन्स (Jaypee Greens), नोएडा में जेपी ग्रीन्स विशटाउन (Jaypee Greens Wishtown) का एक हिस्सा और जेपी इंटरनेशनल स्पोर्ट्स सिटी (Jaypee International Sports City) शामिल है। खास बात यह है कि स्पोर्ट्स सिटी आगामी जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास रणनीतिक रूप से स्थित है।
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में इसके तीन प्रमुख कमर्शियल और इंडस्ट्रियल ऑफिस स्पेस मौजूद हैं।
जेएएल का होटल विभाग भी मजबूत है, जिसके पास दिल्ली-एनसीआर, मसूरी और आगरा में पांच होटल एसेट्स हैं।
कंपनी के मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में चार सीमेंट संयंत्र हैं। इसके अलावा, मध्य प्रदेश में पट्टे पर ली गई चूना पत्थर की खदानें भी हैं। हालांकि, फिलहाल ये सीमेंट संयंत्र बंद हैं।
जेएएल ने कई सहायक कंपनियों में निवेश किया है। इनमें जयप्रकाश पावर वेंचर्स लिमिटेड, यमुना एक्सप्रेसवे टोलिंग लिमिटेड, जेपी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड और अन्य कंपनियां शामिल हैं।
वेदांता द्वारा 17,000 करोड़ रुपये की सफल बोली लगाना जेएएल की दिवाला प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है। यह कदम ऋणदाताओं के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि लंबे समय से अटके हुए बकाए की वसूली की संभावना अब मजबूत हो गई है।
इसके साथ ही, जेएएल की मूल्यवान संपत्तियों के नए और बेहतर उपयोग का रास्ता भी खुल गया है। दूसरी ओर, इस प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया में अदाणी समूह पीछे रह गया, जिससे अंततः सौदा वेदांता के पक्ष में समाप्त हुआ।
जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL), जिसे आमतौर पर जेपी एसोसिएट्स के नाम से जाना जाता है, जयप्रकाश ग्रुप की प्रमुख कंपनी है। यह भारत की एक प्रमुख अवसंरचना समूह है, जिसकी स्थापना 1979 में जयप्रकाश गौर ने की थी। कंपनी का मुख्यालय उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित है और यह विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय है, जैसे इंजीनियरिंग, निर्माण, सीमेंट, ऊर्जा, रियल एस्टेट, एक्सप्रेसवे, हॉस्पिटैलिटी, और शिक्षा।
वेदांता समूह द्वारा जयप्रकाश एसोसिएट्स के अधिग्रहण की प्रक्रिया भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर और ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अधिग्रहण एक ओर वेदांता की कारोबारी स्थिति को और मज़बूत करेगा, वहीं दूसरी ओर कर्ज़ में डूबी जयप्रकाश एसोसिएट्स के लिए राहत साबित होगा।